About UsWe are Dedicated To Better Society & Future

Our curriculum which is a mix of both pragmatic and conceptual ensures that by the end of the course each of our students become the next generation leaders in the world, who takes up challenges as opportunities for improvement, show case positive attitude at work, and balance themselves in high demanding and pressurized work environment.

Our Mission

The vision of mahavidyalaya is envisaged in its motto, “आ नो भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतो” adapted from Rigveda 1.89.1 meaning: “Let noble thoughts come to me from all directions”. The college aims to transform the life of students by enabling, empowering, and enlightening their minds, which in turn provide a benchmark of reference that will help them to excel in all walks of life in the real world. The philosophy of teaching, learning, and life envisioned herein aims at providing a platform of knowledge dissemination that would empower and enlighten students

Our Vision

The mission of the mahavidyalaya abides by its vision to transform the youth through holistic development towards an enlightened society by serving as a beacon of change through multi-faceted, inclusive, value-based education, nurturing lifelong inspired learners, promoting creative and critical thinking, inculcating social values, and sustained engagement; building a strong character with transparent work ethics for holistic development and self-sustenance of its students across the globe in line with our cultural ideal of ‘Vasudhaiva Kutumbakam’.

Management

Doodhnath Singh Smarak Mahavidyalay is guided by a visionary management team committed to academic integrity, institutional growth, and student-centered leadership.

Late Shri Doodhnath Singh

Ex MLA & Founder


दूधनाथ सिंह स्मारक पी0जी0 कालेज की स्थापना समाजसेवी युगपुरुष तथा आमजन के बीच अजातशत्रु के रुप में अत्यन्त लोकप्रिय स्व0 दूधनाथ सिंह (पूर्व विधायक) की पावन स्तृति में की गयी है। स्व0 दूधनाथ सिंह का सम्पूर्ण जीवन समाज के गरीबों तथा असहाय व्यक्तियों के लिए संघर्ष करते बीता। इसी संघर्ष की पीड़ा उनको मण्डल कारागार फैजाबाद में सजा के रुप में झेलनी पड़ी तथा फैजाबाद कारागार में ही दिनांक-09.06.2010 को हृदयाघात से उनका महाप्रयाण हो गया। उनके

उसी अमर संघर्षों की स्मृति में दूधनाथ सिंह स्मारक पी0 जी0 कालेज की स्थापना की गयी।

उक्त महाविद्यालय मड़ियाहूँ, कस्बे में ईदगाह के निकट स्थित है। मड़ियाहूँ रेलवे स्टेशन से महाविद्यालय का भवन सामने स्पष्ट दिखाई पड़ता है, जो कि लगभग 100 मीटर की दूरी पर स्थित है।

Shrimati Savitri Patel

Ex MLA & Founder


Message from the Ex MLA & Founder

दूधनाथ सिंह स्मारक पी0 जी0 कालेज, वीर बहादुर सिंह पूर्वंचल विश्वविद्यालय, जौनपुर से सम्बद्धता प्राप्त है जिसमें स्नातक स्तर पर कला संकाय के अन्तर्गत 09 विषय-हिन्दी, संस्कृत, अंग्रेजी, समाजशास्त्र, राजनीतिशास्त्र, प्राचीन इतिहास, शिक्षाशास्त्र, भूगोल एवं गृहविज्ञान की कक्षायें संचालित हो रही है।

इसके साथ ही महाविद्यालय में स्नातक स्तर पर विज्ञान संकाय के अन्तर्गत प्राणि विज्ञान, वनस्पति विज्ञान, भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान तथा गणित की कक्षायें संचालित हो रही हैं।

उक्त विषयों के साथ ही स्नातक स्तर पर वाणिज्य संकाय के अन्तर्गत बी0 कॉम0, स्नातकोत्तर स्तर पर कला संकाय के अन्तर्गत हिन्दी, समाजशास्त्र, शिक्षाशास्त्र, भूगोल एवं गृहविज्ञान तथा स्नातकोत्तर स्तर पर विज्ञान संकाय के

अन्तर्गत प्राणि विज्ञान, वनस्पति विज्ञान, रसायन विज्ञान एवं शिक्षा संकाय में डी0 एल0 एड0 (बी0टी0सी0) की भी कक्षायें संचालित हो रही हैं।महाविद्यालय शैक्षिक गुणवत्ता तथा अनुशासन के लिए प्रतिबद्ध है।महाविद्यालय की स्थापना का एक मात्र उद्देश्य छात्रों का शैक्षिक, आत्मिक, मानसिक तथा नैतिक विकास करना है।

Shri Ranjeet Singh

Sansthapak


Message from the Sansthapak

व्यक्ति के व्यक्तित्व का विकास करना एवं जीवन स्तर को उँचा उठाना शिक्षा का उद्देश्य है। शिक्षा वह माध्यम है, जो व्यक्तित्व को जैविक प्राणी से सामाजिक प्राणी बनाता है, जिससे व्यक्ति तथा समाज का कल्याण होता है। शिक्षा के द्वारा ही व्यक्ति को शारीरिक, बौद्धिक, आध्यात्मिक तथा मानसिक विकास समुचित ढंग से करने का पूर्ण अवसर प्राप्त होता है। अर्थात् शिक्षा बालक के अन्तरनिहित शक्तियों के सर्वांगीण विकास का माध्यम है। चेतन प्राणियों में मानव शिशु अत्यधिक दुर्बल होता है। बालक जन्म लेता है तो उस समय वह पूर्ण अचेतन अवस्था में होता है। दूसरे व्यक्तियों को आधार बनाता है। वह पूर्ण रुप से दूसरों पर निर्भर रहता है। दूसरे लोगों के द्वारा उसकी दूख-भाल न की जाय तो उसका अस्तित्व बच पाना मुश्किल होता है। किन्तु यही निरुपाय प्राणी बड़ा होकर समस्त जगत पर शासन करता है। तो यह जानना आवश्यक होता है कि यह परिवर्तन कैसे हुआ जिसका उत्तर होता है ’’शिक्षा’’।
आप सभी को शुभ कामनायें।

Shri Amarnath Pal

Managing Director
(M.A., B.Ed, NET)


Message from the Managing Director
(M.A., B.Ed, NET)

महाविद्यालय परिवार प्रत्येक छात्र/छात्राओं का सस्नेह स्वागत करता है। छात्र/छात्राओं के व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास ही महाविद्यालय का ध्येय है। आपका बौद्धिक समुन्नयन के साथ-साथ नैतिक मूल्यों, सामाजिक तथा मानवीय मूल्यों को आप में सम्प्रेषित कर पूर्ण मानव बनाना हमारा निरन्तर चलने वाला प्रयास है। आप सभी का सर्वांगीण विकास हो,

यही मेरी शुभकामना।

Dr. Sushma Patel

Manager
(Ex MLA)


Message from the Manager
(Ex MLA)

दूधनाथ सिंह स्मारक पी0 जी0 कालेज की स्थापना उच्च शिक्षा के क्षेत्र में व्याप्त अवसरों की कमी को पूरा करने का एक सकारात्मक प्रयास है। यह महाविद्यालय मड़ियाहूँ क्षेत्र के छात्र/छात्राओं के उज्ज्वल भविष्य का मार्ग प्रशस्त करेगा। दससे न केवल स्थानीय स्तर पर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की आवश्यकता पूरी होगी, बल्कि शिक्षा के लिए दूरस्थ प्रवास करने वाले छात्र/छात्राओं का पलायन भी रुकेगा।
महाविद्यालय में वर्तमान सत्र में स्नातक स्तर पर कला संकाय के अन्तर्गत 09 विषय-हिन्दी, संस्कृत, अंग्रेजी, समाजशास्त्र, राजनीतिशास्त्र, प्राचीन इतिहास, शिक्षाशास्त्र, भूगोल एवं गृहविज्ञान, स्नातक स्तर पर विज्ञान संकाय के अन्तर्गत प्राणि विज्ञान, वनस्पति विज्ञान, भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान तथा गणित, स्नातक स्तर पर वाणिज्य संकाय के अन्तर्गत बी0 कॉम0, स्नातकोत्तर स्तर पर कला संकाय के अन्तर्गत हिन्दी, समाजशास्त्र, शिक्षाशास्त्र, भूगोल एवं गृहविज्ञान तथा स्नातकोत्तर स्तर पर विज्ञान संकाय के अन्तर्गत प्राणि विज्ञान, वनस्पति विज्ञान, रसायन विज्ञान एवं शिक्षा संकाय में डी0 एल0 एड0 (बी0टी0सी0) की भी कक्षायें संचालित हो रही हैं। जिससे विद्यार्थियों को रोजगार उन्मुखी तथा भविष्योन्मुखी शिक्षा प्राप्त हो सके। महाविद्यालय परिसर में ऐसे क्रियाकलाप संचालित किये जायेंगे जिससे विद्यार्थियों के रचनात्मक व्यक्तित्व तथा कृतित्व का विकास होगा।
शुभेच्छााओं सहित, आप सबकी हितैषी।

Dr. Ramsingh Yadav

Principal


Message from the Principal

किसी बालक को नैतिकता तथा सच्चरित्रता का सच्चा पाठ शिक्षक द्वारा ही पढ़ाया जाता है। शिक्षक द्वारा बालकों को नैतिक आचरण का उपदेश देना हमारी प्राचीन परम्परा थी, ’’जो शास्त्रों के तात्पर्यों को संग्रह करके शिष्यों को उन्हे बतलाये उनके भावों और विचारों को शिष्य के जीवन में उतार दे स्वयं भी वैसा आचरण करे उसे ही आचार्य कहते हैं’’। आज के बदलते परिवेश में प्राचीन शिक्षकों के आचरण व आदर्शों को खोजना कठिन हो गया है। किन्तु इस आधार पर यह नही कहा जा सकता है कि शिक्षकों में उत्तम मूल्यों के निर्वहन करने की क्षमता नही है। आज के बहुत से शिक्षक हैं, जो समाज द्वारा सम्माननीय विश्वसनीय व श्रद्धा के पात्र हैं। शिक्षण संस्थानों के महत्वपूर्ण स्तम्भ स्वरुप शिक्षकों के सन्दर्भ में यह कहना सर्वथा उचित होगा कि शिक्षक का एक महत्वपूर्ण दायित्व है कि उसे शिक्षा के प्रत्येक स्तर पर अपने चरित्र अैार सद्व्यवहार से छात्रों के समक्ष अभिप्रेरक साबित होना चाहिये। बालक में अनुकरण की क्षमता तो जन्मजात होती है।

सस्नेह शुभकामना।